मोहे रंग दो
मोहे रंग दो
आओ मुझको रंग लगाओ
अपने ही रंग में पिया हमें रंग डालो,
यूँ तो पहले से ही तोरे प्रेम के रंग रंगी हूँ
इस प्रेम कोष को और बढ़ा दो ,
गाढ़ा लाल रंग है इश्क का सैंया मोहे भाया है
मल मल के इसी रंग में पिया हमें डूबा दो,
रंग ना कभी उतरे तिहारा ऐसी कोई साज़िश कर दो।।