मोहब्बत
मोहब्बत
ये जीवन साज़ है कोई आगाज़ तो नहीं,
मोहब्बत ज़रूरी है ये कोई रिवाज़ तो नहीं।
इश्क का बुखार समझ नहीं आया,
उस मरीज़ का फिर कोई इलाज तो नहीं।
मौसम की तरह तुम बदले हो हमेशा,
हम कभी बदले ये हमारा मिज़ाज तो नहीं।
जब बहते रहे है मेरे नयन से अश्रु,
फिर ये पलकें होती कभी नाराज़ तो नहीं।
शायद प्रेम का यही होता है अंजाम,
इसलिए मोहब्बत का कोई अंदाज़ तो नहीं।
कुछ लम्हों की मुलाकात ने कहा,
प्रेम ख़ामोश है इस में आवाज़ तो नहीं।
राहगीर चलता रहा अंजान सफर में,
रास्ता उसे मिला नहीं ये आगाज़ तो नहीं।