*मोहब्बत का नशा*
*मोहब्बत का नशा*


मोहब्बत वो नशा है जिस पर,
कोई दवा काम नहीं करती।
दिल और दिमाग पर सिर्फ,
महबूब की सूरत दिखाई देती है।
ख्यालों में उसके हमेशा,
खोया रहता है दिल।
महबूब के आने का
इंतजार करता रहता है दिल।
ना जाने कितने मोहब्बत में ,
बिछड़ गए।
फिर भी मोहब्बत करते है लोग,
अपनी मोहब्बत को कभी,
यादों से जुदा नहीं कर पाते है लोग।
कभी हँसकर और कभी रो कर ,
जमाने से विदा हो जाते है लोग।
पर अपनी मोहब्बत को
अमर इस जहाँ में कर जाते है लोग।