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nidhi bothra

Others

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nidhi bothra

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"थकी-थकी सी है जिंदगी"

"थकी-थकी सी है जिंदगी"

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कतरा -कतरा बह रही है जिंदगी,

धूप -छाँव की चाह में,

आज उठ रहें हैं कदम।

थकी-थकी सी लग रही है जिंदगी।

न चाहतों के ख्वाब हैं ,

और न ही हसीन साथ हैं ,

जाना कहां है मंजिल कहाँ है खबर नहीं ,

बस बेवजह- बेजान-सी 

चल रही है जिंदगी।

बियाबां राह में कोई मिले,

मेरे हर श्वास महक खिले,

धड़कने रफ्तार पकड़े,

थमक कर फिर चलने लगे जिंदगी।

खामोशियों में गुनगुनाती कट रही है जिंदगी।


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