"थकी-थकी सी है जिंदगी"
"थकी-थकी सी है जिंदगी"
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कतरा -कतरा बह रही है जिंदगी,
धूप -छाँव की चाह में,
आज उठ रहें हैं कदम।
थकी-थकी सी लग रही है जिंदगी।
न चाहतों के ख्वाब हैं ,
और न ही हसीन साथ हैं ,
जाना कहां है मंजिल कहाँ है खबर नहीं ,
बस बेवजह- बेजान-सी
चल रही है जिंदगी।
बियाबां राह में कोई मिले,
मेरे हर श्वास महक खिले,
धड़कने रफ्तार पकड़े,
थमक कर फिर चलने लगे जिंदगी।
खामोशियों में गुनगुनाती कट रही है जिंदगी।