*नहीं मिलेगी किसी बाजार में*
*नहीं मिलेगी किसी बाजार में*
मैं खरीदने गया बाजार में,
नैतिकता, व्यवहार का सलीका।
उच्च चरित्र, दिल की शुद्धि,
व्यवहारिक बुद्धि।
विश्वास, धीरज, प्रतिष्ठा,
ईमानदारी, सत्यनिष्ठा,
आदि।
बहुत ढूँढा,
पूछा हर दूकान में।
पर नहीं मिली इनमें से कुछ भी
किसी भी प्रतिष्ठान में।
समझाया
किसी अनुभवी उम्रदराज ने,
कि ये सब तो हैं स्वनिर्मित गुण
अपने-अपने चरित्र में,
तो कैसे मिलेगी
किसी भी दूकान में।
कहा उन्होंने,
तुम ठानो स्वयं मन में,
एक-एक को इनमें से
प्रतिष्ठित करने,
अपने व्यवहार में,
अपने चरित्र में।