मोबाइल का मायाजाल
मोबाइल का मायाजाल
मोबाइल का मायाजाल में हम युवा दिन-रात फँसते जी जा रहा है। फेसबुक और इंस्ट्राग्राम का जाल तो मछ्ली के जाल से भी ज्यादा खतरनाक है इसमें पूरे देश-दुनिया के लोग मिल जाते है अपनी पहचान छुपा के न जाने कितनों के दिल, जज्बात, सपनों से खेलते है। एक और हमारे रीति-रिवाज है। दूसरी और मोबाइल का मायाजाल है। युवा अपने रीति-रिवाज छोड़ मायाजाल में फँसता जा रहा है। आज हम युवा अपने संस्कार भूल मोबाइल में दिन-रात लगे रहते है। न सूर्य से पहले उठने का समय पता है अब न रात को सोने का समय बचा है। पहले राक्षस जागते थे अब उनकी जगह हम युवा ने ले ली। सुबह से लेकर रात तक छोटी से छोटी बात स्टेटस में लगाने लगे है। पुराने समय में ये काम हमारे दादा-दादी का काम हुआ करता था। आज हम युवा को मोबाइल के मायाजाल से फुर्सत ही नहीं की दादा-दादी का प्यार जाने या पुराने समय कैसा था। उसको सुने? न जाने अब इस मोबाइल के मायाजाल से कैसे निकल पाएंगे?