मनुष्य की प्रवृति
मनुष्य की प्रवृति
तड़ित, तड़ित, तड़ित,
प्रघात हूं, प्रघात हूं।
प्रचंड, प्रचंड, प्रचंड,
प्रहार हूं, प्रहार हूं।
अन्त, अन्त, अन्त,
मुडिवु की शुरुआत हूं
प्रलय, प्रलय, प्रलय,
अज्ञात हूं, अज्ञात हूं।
सत्य, सत्य, सत्य,
व्रज का आघात हूं।
मस्त मतंग, तेज तुरंग,
केसरी सत्व ,अगोचर ब्रह्मांड हूं।
अनघहामी, अग्निज्वाला अनुचर,
तांडव का आगाज हूं ।
अवसान का आविर्भाव हूं,
मनुज प्रवृति का संचार हूं।
