।।मनुष्य और वृक्ष।।
।।मनुष्य और वृक्ष।।
देख लो आज इंसा की हालत को तुम,
किस तरह आक्सीजन को तरसनें लगे।
त्राहि त्राहि मची है क्यो आज चारों तरफ,
जान अपनी को इंसान कैसे खोने लगे।
काटते न अगर पेड़ पौधों को तुम,
देते रहते हवा साफ जीवन में तुम्हे।
फैला है प्रदूषण धरा में जो अभी,
दूर इसको करके प्राणवायु देते तुम्हे।
कर रही है इशारा कुदरत अभी,
रोप दो खूब पौधे धरा में सभी।
जल, वायु सभी शुद्ध हो जाएॅ॑गे,
शुद्ध वायु को फिर न तरसोगे कभी।
मित्र अपना वृक्षों को तुम समझो सदा,
बस प्यार थोड़ा सा इनको तुम देते रहो।
हरियाली से धरती ये सज जाएगी,
खूब जल और वायु शुद्ध लेते रहो।
वृक्ष होंगे धरा में तो होगी खूब बारिश,
सूखी नदियाॅ॑ भी दुख से उबर जाएंगी।
खूब पानी मिलेगा फसलों को भी,
खुशहाली खेतों में भी आ जाएगी।
आंधियां भी रुख अपना बदल देंगी फिर,
सैलाब पानी का भी थोड़ा थम जाएगा।
छाया और आशियाना मिलेगा सभी को,
पशु पक्षियों का जीवन भी सुधार जाएगा।
