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Dr. MULLA ADAM ALI

Romance

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Dr. MULLA ADAM ALI

Romance

मन्नत के धागे

मन्नत के धागे

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बांधे थे मैंने, 

मन्नतों के धागे

तुम्हें पाने के लिए।।


सजदे किए थे

 दरगाहों पर,

 तुम्हारा हो जानें के लिए।।


कभी समझ ही नहीं

पाया कोई हकीकत हमारी

अनजान ही रहे हम

इस जमाने के लिए।।


ना कुबूल हुई हमारी

कोई भी मन्नत,

उदास होकर निकल पड़ा

ये दिल फिर से

तन्हाइयों में जाने के लिए।।



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