मंजूर नहीं
मंजूर नहीं
हमको तो मंजूर नहीं
ये मंजर जुल्म-ओ-तबाही का
हमको तो मंजूर नहीं
ये खंजर खून-ए-स्याही का
किसी वक्त ये वक्त तो बदलेगा
खत्म होगा सिलसिला रुसवाई का
किसी रोज़ ये मंजर रुखसत होगा
देकर पैगाम-ए-विदाई का।
हमको तो मंजूर नहीं
ये मंजर जुल्म-ओ-तबाही का
हमको तो मंजूर नहीं
ये खंजर खून-ए-स्याही का
किसी वक्त ये वक्त तो बदलेगा
खत्म होगा सिलसिला रुसवाई का
किसी रोज़ ये मंजर रुखसत होगा
देकर पैगाम-ए-विदाई का।