मंजिलो का शौक किसे था
मंजिलो का शौक किसे था
मंजिलो का शौक किसे था,
हम तो रास्तों से ही प्यार कर बैठे थे।
तू मिलेगा नहीं ये तो मेरी हर नब्ज़ जानती थी,
फिर भी तुझी से इकरार कर बैठे थे।
तूने उस कयामत की रात एक वादा चाहा था हमसे,
और हम थे कि यूंही इंकार कर बैठे थे।
तू नहीं आयेगा अब कभी ये जानते हुए भी,
हम जाने क्यों तेरा इंतजार कर बैठे थे।
मंजिलो का शौक किसे था,
हम तो रास्तों से ही प्यार कर बैठे थे।
यकीनन दोस्ती ही रखेंगे तुमसे ये कहने वाले,
जाने-अनजाने हमें प्यार कर बैठे थे।
हमने भी चाहा था हवाओं में इश्क को महसूस करना,
हम भी हमारे घर को खिड़कीदार कर बैठे थे।
और कुछ तो इस कदर तहज़ीब परस्त निकले,
खिड़की से ही हमारा दीदार कर बैठे थे।