मेरे हाल पे हंसने वाले सुन
मेरे हाल पे हंसने वाले सुन
मेरे हाल पे हंसने वाले सुन,
ये आज बना उपहास मेरा, जो यादगार सा पल होगा।
ये हस्र मेरा जो आज हुआ,फिर हस्र तेरा वो कल होगा ।।
ये काल-चक्र है - काल-चक्र,
फिर वही समय का छल होगा,जाने कब कौन अचल होगा ।
मैं भी नश्वर तू कठपुतली, उस दृष्टि का ही अनुचर होगा।।
ओ दयानिधि-ओ दयावान, जब-२ खुद तू अंश होगा ।
फिर घूमेगा जब समय चक्र,जब नियति तुझे चलायेगा।
जब करा धर्म की विजय,सौभाग्य ना तू भी पायेगा।
और मिले श्राप को सर-माथे रख, द्वारिका को डुबायेगा ।
तो सुन ले ए मनुष्य -२
रचने वाला भी जब खुद के, भाग्य से भाग ना पायेगा।
औकात तेरी है क्या, जो तू नियति से बच पायेगा।
मेरे हाल पे हंसने वाले सुन,
ये आज बना उपहास मेरा, जो यादगार सा पल होगा।
ये हस्र मेरा जो आज हुआ,फिर हस्र तेरा वो कल होगा।
