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Jaya Bhardwaj

Abstract

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Jaya Bhardwaj

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अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या

अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या

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अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या?

माना कि माना था जिसे चांद , 

उसकी रोशनी उम्र भर तो ना मिल पायेगी।

हां अमावस तो नहीं होगा, 

पर कुछ यादों की धुंध सी छा जायेगी ।

पर, अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या।

हो सकता है, तुझे उस हुस्न में मेरी झलक भी नजर नहीं आयेगी।

और कुछ रूसवाई, तो कुछ तन्हाई सी कर जायेगी ।

पर, अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या।

क्या याद है तुम्हें, 

मेरे चेहरे को अपना आईना कहा था तुमने ।

फिर क्यों तेरी खुशी तेरा प्रतिबिंब ना बन पाएगी।

तो, अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या।


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