अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या
अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या
अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या?
माना कि माना था जिसे चांद ,
उसकी रोशनी उम्र भर तो ना मिल पायेगी।
हां अमावस तो नहीं होगा,
पर कुछ यादों की धुंध सी छा जायेगी ।
पर, अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या।
हो सकता है, तुझे उस हुस्न में मेरी झलक भी नजर नहीं आयेगी।
और कुछ रूसवाई, तो कुछ तन्हाई सी कर जायेगी ।
पर, अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या।
क्या याद है तुम्हें,
मेरे चेहरे को अपना आईना कहा था तुमने ।
फिर क्यों तेरी खुशी तेरा प्रतिबिंब ना बन पाएगी।
तो, अब हमारे चांद भी बदल गये हैं क्या।
