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अरविन्द त्रिवेदी

Abstract

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अरविन्द त्रिवेदी

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मंदिरों की तरह देश पावन मेरा

मंदिरों की तरह देश पावन मेरा

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विश्व के इस पटल पर निराला बड़ा,

मंदिरों की तरह देश पावन मेरा


है विविधता भरी जग में है श्रेष्ठ ये,

जन्म पाकर यहाँ लोग मानी हुए।

सभ्यता गूँजती इसकी चारों दिशा,

पा लिया ज्ञान वेदों से ज्ञानी हुए।


रज में खेलें हैं इसकी यही स्वर्ग है,

प्रेम भावों से पूरित ये मधुबन मेरा। (१)

मंदिरों की तरह-------


रक्त सज्जित धरा वीरता की बनी,

भूमि आजाद गाँधी भगत की यही।

वो बना हिन्द की फौज नेता हुआ,

नाम पहचान धरती भरत की यही।


नित्य पूजा करें भारती की सभी,

बस यही एक सबसे निवेदन मेरा। (२)

मंदिरों की तरह--------


ये प्रजातंत्र गणतंत्र से है सजा,

नील नभ में तिरंगा लहरता रहे।

शौर्य की ज्वाल मन में जलाये हुए,

हर सिपाही अमरता में जीता रहे।


गर्व मन में लिये राष्ट्र के मान का,

प्रेम खुशियों भरा हो ये उपवन मेरा। (३)

मंदिरों की तरह-------


आँच आने ना पाये वतन पर कभी,

हैं कथायें सभी पुण्य बलिदान की।

भाल पर है हिमालाय मुकुट सा जड़ा,

है जवानी भी शोणित भरी आन की।


एकता के सभी बन्धनों में बंधे,

हो शहीदों के चरणों में वन्दन मेरा। (४)

मंदिरों की तरह--------


सुर तुलसी कबीरा निराला हुए,

सन्त साहित्य के हमको अभिमान है।

राम रहमान नानक यहीं बुद्ध हैं,

इनसे पाया मनुजता का वरदान है।


लाख विषधर भले फिर रहे भूमि पर,

नाग लिपटे कई, देश चन्दन मेरा। (५)

मंदिरों की तरह----------


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