मंच पर खुश मिलाबटखोर
मंच पर खुश मिलाबटखोर


मंच पर शर्म सजाये नेता,
ठंड पर बात करता है,
मंच पर उससे पूंछ,
तेरी बात का क्या खर्चा है।
खुदगर्ज़ियां बांटता है,
या अपनी मर्जियां ढांकता है,
ठिठुरी बैठी गुमराह जनता है,
नेता गर्म मंच साजता है।
भलाई के मीठे बोल,
नेता मंच से बांटता लोभ,
धरातल पर चीखते लोग,
मंच पर खुश मिलाबट खोर।