STORYMIRROR

Swati Sharma

Abstract

3  

Swati Sharma

Abstract

मन

मन

1 min
377

बाल मन बड़ा हठीला,

करता है अपनी मन मानी

होता है नादान तो।।

तो होता है कभी अज्ञानी।


जिद पर एकदम अडिग

तो बात मनवाने में एकदम सच्चे

बाल मन कोई नहीं समझ पाया।


कैसी है ये कहानी

जो समझ गया इनके मन को

वो है साक्षात परम ज्ञानी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract