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Akanksha Gupta (Vedantika)

Abstract

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Akanksha Gupta (Vedantika)

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मन

मन

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आज मन को उड़ने दो

सपनों की उड़ान भरने दो


करने दो मनमानी उसको आज

कुछ अलग इस दुनिया से


देखने दो उसको सपने

ना उसको जकड़ो बन्दिशों में


बेकाबू हो जाने दो मन के अश्व को

ना थामो आज मन की लगाम


सपनों से कुछ बिगड़ता नही

बस खुशी के कुछ पल होते हाथ


आज मन को उड़ने दो

सपनों की उड़ान भरने दो।


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