मन (प्रेम)
मन (प्रेम)
बस एक तेरा मन,
न कोई अपना न पराया है।
देखी एक अर्थी मन घबराया,
सच तो यही समाने हैं।
बस मन ने थोड़ी देर,
में सब भूलाया हैं।
पड़ोस के घर में,
आवाजें आती मन में हलचल हैं।
पति साथ फेरे पर वादे,
और पत्नी और वो है।
मन घबराया,सच पति जो
परिवार की स्थिति बने हैं।
मन भावों में वो,
तुम तो फेरों से बंधे हैं।
सच बस मन,
हमने अपने आप को समझाया हैं।
जीवन हमारा निर्णय,
हमारे बस बंधन झूठ है।
सच तो साथ,
बस सांसों तक स्वार्थ है।
मन और ख्याल,
जीवन के प्रेम सच है।।
