मन में हलचल
मन में हलचल
न जाने मन में कैसी हलचल हो रही है
न जाने उससे मिलने की इच्छा क्यों हो रही है।
काफी दिन हो गए है उससे मिले हुए
चेहरा ओर गुल भी न अभी तक खिले हुए।
जल्दी आ जाओ मुझे तुझसे दीदार करना है
तुझे देखकर के हँसना और जी भर के प्यार करना है।
तेरी बेचैनी ने मुझे बहुत दूर कर दिया है
तुझसे मिलने के लिए दिल को मजबूर कर लिया है।
मन मेरा नही जानता की उसे किधर जाना है
तेरी यादो में बसे ही इस कदर की
की न काम का न होश का ठिकाना है।
तेरे दीदार के लिए अब ये आँखे तरसती है
मेरे मन की बैचैनी को तू क्यों नही समझती है।
अब तो रातें भी बहुत बेचैन सी हो गयी है
जल्दी आ जा अब तो पेट्रोल और
सब्जियां भी सस्ती हो गयी है।
तुमसे दोस्ती की है कोई तो वजह होगी
इससे पहले की मुझसे कोई खता हो
पहले ही बता दो की तुमसे प्यार
करने की क्या सजा होगी।
तेरी आँखों को देखकर भी समझ नही पा रहा हूँ
पता नही क्यों तेरा गुणगान किये जा रहा हूँ ।

