"काजल"
"काजल"
काजल के बिना कितने काम अधूरे है
काजल के बिना कोई भी काम न पूरे है।
काजल के बिना हर चेहरा सूना होता है।
काजल के बिना हर श्रृंगार अधूरा होता है।
काजल न लगाओ तो कुछ
कमी सी आ जाती है
काजल लगाने से तस्वीर
में भी जान आ जाती है।
जिस तरह कमल नहीं
खिलता है दल दल के बिना
नैन चाहे कितने भी नशीले हो
न सुंदर लगते है काजल के बिना।
काजल हिंट आँखों का
नूर झलकाता है
काजल ही काजल की
सुंदरता को दिखलाता है।
