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Prakash Singh Patel

Fantasy Thriller

3  

Prakash Singh Patel

Fantasy Thriller

"काजल"

"काजल"

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काजल के बिना कितने काम अधूरे है

काजल के बिना कोई भी काम न पूरे है।


काजल के बिना हर चेहरा सूना होता है।

काजल के बिना हर श्रृंगार अधूरा होता है।


काजल न लगाओ तो कुछ

कमी सी आ जाती है

काजल लगाने से तस्वीर

में भी जान आ जाती है।


जिस तरह कमल नहीं

खिलता है दल दल के बिना

नैन चाहे कितने भी नशीले हो

न सुंदर लगते है काजल के बिना।


काजल हिंट आँखों का

नूर झलकाता है

काजल ही काजल की 

सुंदरता को दिखलाता है।



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