मन की नाँव
मन की नाँव
मन काग़ज़ की नाँव,
जिस ओर चलाया चल पड़ी ,
बैठा के सपनो की टोली,
दूर क्षितिज तक बह चली !!
लहर-लहर पे झूम-झूम के
सुख-दुःख अपने छोड़ चली !!
अपनी मनमौजी सी उमंग में ,
धूप-छाँव सब भूल चली !!
मन काग़ज़ की नाव मेरी ,
छोड़ किनारे दूर चली !!