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Rajesh Mishra

Inspirational

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Rajesh Mishra

Inspirational

मन के रावण को जलाएं

मन के रावण को जलाएं

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पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण 

आज जलेगा पुतला मेघनाथ

और रावण का 

कोई राम छोड़ कर बाण 

अंत करेगा असुर सोच के

आचरणों का 


युगों युगों से यही सिलसिला 

कितने ही रावण जलते आये हैं 

बुरी सोच का अंत मगर 

कोई बाण न मिटा पाए हैं 


शायद इस रावण में अब 

कोई खोट न बाकी है 

यूँ ही इसे जलाते रहना

बस मनोरंजन और झांकी है 


मनोरंजन के मेलों में ये

तीन खड़े हैं 

लकड़ी कागज़ और पटाखों

से जकड़े हैं 

पर जाने कितने ही मन के रावण 

खुले स्वछंद इस भीड़ में खड़े हैं 


कोई यहाँ जेब किसी की

काट रहा है 

कोई छुप छुप बुरी नज़र से

ताक रहा है 

पुतले का ये रावण तो खामोश

खड़ा है 

राम के मन का चोर मंच से

झांक रहा है 


राम बने जो लगे खड़े हैं 

मन में उनके लोभ बड़े है 

एक कसूर किया रावण ने  

पर पापों से इनके मटके

भरे पड़े हैं 


अब समय है सोचने का 

असल रावण खोजने का 

पुतलों में कोई खोट नहीं है 

चोर तो अपने मन में कहीं है 


पुतले जलाने से मिटेंगी 

अब न ये कुरुतियां 

लोभ मोह त्यागने से 

जलेंगी सब विकृतियां 

 

आओ हर्ष से दशहरा मनाएं 

रावण के पुतलों को हटाएँ 

मन के रावण को जलाएं 

मन के रावण को जलाएं 



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