मन के जीते
मन के जीते
अर्जुन को कृष्ण ने दिए
बहुतेरे उपदेश, सुलझ ना पाय
मन के द्वेष,, उलझन बढ़ती जाय
मन निरन्तर आगे की सोचे,,,
कृष्ण वापस भविष्य में लें आयें,,
कोशिश बेकार,,पर ना हो पाए,,
सब तर्क कर थक चुका,मन
कोई रास्ता ना बचा,, मन को
हार स्वीकार करनी पड़ी,मन की
कृष्ण चाहते थे, जानते भी थे
पर क्या,ऐसे ही अर्जुन मान जाते?
हम सब के साथ ,हाल यही है
बस मन को अर्जुन की तरह
वापस नही ला पा रहे,,
उलझे व उलझते ही जा रहे,,
मन को लगाम जरूरी है,,
हम जैसा चाहते है, वैसा मन सोचे
कृष्ण यही उपदेश दे रहे,,
बात भूत की नही भविष्य की कर
भूत काल उज्ज्वल हो,यही एक हल है।
शिक्षक कृष्ण मार्गदर्शक भर हैं!
असल में अमल अर्जुन को है, करना
जितना जल्द आत्मसात ले, कर
जीवन का मूल उद्देश्य जान ले
कृष्ण दर्शन, फलीभूत जाता
अर्जुन सी अकर्मण्यता से बचाये
फिर एक उत्कृष्ट वीर कहलाये।