मन के भीतर
मन के भीतर


तुम्हें करना है प्रेम
पत्थर की मूरत से
इसलिये उतार लो
अपने भीतर
मीरा का पागलपन
हंसने दो ज़माने को
उठने दो उंगलियां
सुध बुध खोकर
नाचो, गाओ
मन की कंदराओं में
रमा लो प्रेम धूनि
जहां बैॆॆठ
कर सको
जाप किसी नाम का
देखना एक दिन
तुम्हारे साथ
पिघल उठेगी
पत्थर की मूरत
और उस द्रव्य से
धरा पर
लिख जायेगी
प्रेम की
उत्कृष्ट परिभाषा