STORYMIRROR

mohammad imran

Inspirational

4  

mohammad imran

Inspirational

मजदूरों का दर्द

मजदूरों का दर्द

1 min
23.1K

पथरीले रहो पर चलते,कोष रहे है खुद को

बिलख रहे है भूख प्यास से, बच्चे तड़पते दूध को,

थकते नहीं बस चलते जाते, कैसी यह बिडम्बना है

छील गया पाव हो गया घाव,

फिर भी इनको दीखता है गाव


जुबान से बस इतना ही निकलता

"साहेब हमको घर जाना है "

जेब है खली, खली इनके बर्तन है

सिहरे से सहमे से थर्राता इनका तन मन है

खाकी वाला कोई देख न ले,

मन में इनके उलझन है


टूट चुके है अंदर से, फिर भी अकड़  बाकि है

रक्षा की पल-पल याद दिलाती जो बहन ने हाथ में बांधी राखी है

बूढी माँ बीमार पिता भी राह देखते हरपल है

मदद की गुहार इनके तराने में देखता है

"हम मजदूरों को को गांव हमारे भेज दो सरकर

सुना पड़ा घर द्वार"

भारत की बिटिया ने इतिहास रच डाली,

पिता को ले चली साईकिल से

पिता का धर्म निभ्ने के पहले,

बिटिया ने धर्म निभाया है


बिटिया का सहारा पा के पिता ने

धरती पे स्वर्ग पाया है

दो बच्चो को अनाथ बनाके

माँ ने भी, डम तोडा है

सरकार ने भी अनदेखा करके देश में,

अब कहा कुछ छोड़ा है। अब कहा कुछ छोड़ा है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational