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Er.Saurabh Pandey

Tragedy Others

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Er.Saurabh Pandey

Tragedy Others

मजदूर

मजदूर

1 min
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वह मुझ को बेगाना कर गया था


जिस देश को मैंने बनाया वह

मुझ को बेगाना कर गया था

शायद मेरी किस्मत को

ठोकर मारने का बहाना मिल गया था

जिस देश को मैने बनाया

वह मुझ को बेगाना कर गया था


मैं मज़दूर था शायद मेरी किस्मत

की ग़लती थी

जिस सड़क और रेल की पटरी को

बिछाया वह मेरी मौत की तख्ती थी

शायद मेरी किस्मत को ठोकर

मारने का बहाना मिल गया था

जिस देश को मैंने बनाया वह

मुझ को बेगाना कर गया था


मेरी भूख और गरीबी से मजबूर

हो गया था

और छोड़ी कलम किताबें तो

मैं मजदूर हो गया था

ऊँची इमारत मेरी मेहनत का सिला था

मालिक मेरे काम से मशहूर हो गया था

जिस लिए कमाया वह रोटी न खा सका था

शायद मेरी किस्मत को ठोकर

मारने का बहाना मिल गया था

जिस शहर को मैंने बनाया

वह मुझ को बेगाना कर गया था।


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