STORYMIRROR

Er.Saurabh Pandey

Abstract

4  

Er.Saurabh Pandey

Abstract

परिंदे

परिंदे

1 min
297

परिन्दे है हम,

उन्मुक्त गगन के।


उड़ना है पहचान हमारी,

पिंजड़े में बन्द,

हमारी शान नहीं।


उन्मुक्त गगन में,

घूमना हमारी पहचान है।


स्वतंत्रता प्यारी है,

हमे आज भी।


इस धरती से गगन तक,

विचरण करना हमारी पहचान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract