STORYMIRROR

Rishi Raj Singh

Tragedy

5.0  

Rishi Raj Singh

Tragedy

मजदूर की बीवी

मजदूर की बीवी

1 min
551


मजदूर छोड़ जाते हैं

अपनी बीवियों को

बेसहारा,


जो नहीं छोड़ सकते

वो जीवन भर देते हैं यातनाएं

और दुःख,


हाँ मगर नहीं दे पाते

भर पेट भोजन

इसके बावजूद

इन माओं के कोख से

निकले बच्चे,

सामान्य पैदा होते हैं,


ये बच्चे गर्भ में

होते हैं अंकुरित,

अश्रु की उस बूंद से,

जो उनकी माँ की आंखें 

घोंट लेती हैं,


उस वक़्त,

जिस वक्त वो

सहती है यातनाएं,

और होते हैं पोषित,

मां के देह की ऊर्जा से,


ये बच्चे बड़े होकर

करते हैं काम

ईंट की भट्टियों में

और माएं,


माएं करती हैं प्रार्थना 

बारिश की,

वो चाहती है

होने लगे

मूसलाधार बारिश,


जब भी लौटे उनके बेटे,

काम से 

वापस घर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy