मजबूत रिश्ते।
मजबूत रिश्ते।
यारों अब कहां मिलते मज़बूत से रिश्ते,
पहले कितने हम-सब मिलजुलकर रहते।
अब तो रिश्तों का लगता नक़ली एहसास,
पहले जैसे नहीं रहे अब ये रिश्ते-नाते ख़ास।
समय को पहचानना तो अब सीख लीजिए,
दर्द-ए-दिल का अनुमान लगाना भी सीखिए।
जिनके तन-मन में दुःख दर्द गमों से भरा अंधेरा,
बस उन रिश्तों को पटरी पर लाना अब सीखिए।
अमीर-गरीब की लड़ाई में हम अब जैसे बिच्छू लड़ते,
उन नकली और खोखले नातों का विष पीना सीखिए।