मिथ्या के साधक आते
मिथ्या के साधक आते
देखो मिथ्या है राष्ट्रवाद की परिभाषा,
व्यर्थ है जातिय धर्मी जय की पिपासा,
सत्ता भोग में मंचवासा,
ना काहू को त्रिमाचा,
बड़े बड़े भोग विलासी,
मंच पर मिथ्या भाषी,
रुप अनेक दिखाते,
मिथ्या के साधक आते,
मंच पर तंज पर,
कल घोषणा कर जाते।।
