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Mukesh Kumar Modi

Abstract

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Mukesh Kumar Modi

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मिलकर बांटें प्यार

मिलकर बांटें प्यार

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जब अपना तन छूटेगा, तब क्या होगा वो मंजर

जाने कितने दिलों पर, चलेगा जुदाई का ख़ंजर


मोह की डोर बड़ी मजबूत, लेकिन बहुत महीन

टूटने का जब समय आए, हम हो जाते गमगीन


दर्द हमें क्यों होता, समय जुदाई का जब आता

हमसे बिछड़ने वाला, हमारी नींद उड़ा ले जाता


वक्त के साथ आखिर, हम उसको भूल ही जाते

क्योंकि जीवन में हम, नए लोगों से रिश्ते बनाते


मिलने और बिछड़ने का, दस्तूर बड़ा ही पुराना

आए हैं इस दुनिया में, एक दिन तो होगा जाना


आने जाने के बीच का, ये समय बड़ा अनमोल

आपस में मिलजुलकर रहो, कहकर मीठे बोल


प्यार बांट लो आपस में, कमी कहीं ना रह जाए

अपनों के जुदा होने पर, दिल कहीं ना पछताए


प्यार नहीं यदि जीवन में, फिर जीना ही बेकार

नफरत को मिटाकर, आओ मिलकर बांटे प्यार।


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