मिज़ाज ए मुहब्बत
मिज़ाज ए मुहब्बत
कुछ तेरे ख्याल में था कुछ तेरे सवाल में था
तुम्हारा दिल कहां जिस्म की दीवाल में था
मैं तुम्हें कितनी आसानी से पसंद आ गया
यानी हमारा रिश्ता शुरू से मुश्किल में था
मैंने जिस इरादे से तुझे जी भर के देखा
मैं अब तक उसी नियत के मलाल में था
कहीं चढ़ न जाए मुझ पर ज़माने का रंग
इसलिए खुश बहुत मैं अपने हाल में था
मैं और तुम तो आ गए नए साल में मगर
वो इश्क़ कहां हैं जो पिछले साल में था।

