मलाल ए मुहब्बत
मलाल ए मुहब्बत
1 min
252
एक अजीब उदासी से गुजर रहा हूं मैं
उसके वादों पे जीकर मर रहा हूं मैं
नहीं पता मुझे आपस का ताल्लुक़ मगर
आपके खातिर कुछ तो बनकर रहा हूं मैं
उसको समझदार समझकर लगता हैं
न ज़ाने क्यूं कोई तो भूल कर रहा हूं मैं
मुझे अपनी बाहों से दूर कर दो अब
इतनी करीबी देखकर डर रहा हूं मैं
अभी मत करना इन हवाओं से दोस्ती
बनके ओढ़नी तेरे माथे पे ठहर रहा हूं मैं।