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Sanjay Verma

Drama

3  

Sanjay Verma

Drama

मीठे गीत

मीठे गीत

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डगर-डगर चली बिटिया

गुनगुनाते हुए लोक गीत

जो उसने सीखे थे माँ से

रच-बस चुके थे सांसो में।


हर त्यौहारों के मीठे गीत

सखिया बन जाती कोरस

स्वर मुखरित हो उठते तो

कोयल कूक भी हो जाती फीकी।


ठहर जाते लोगो के भी पग

कह उठते कितना अच्छा गाती

बेटियां अब कम हो जाने से

हो गये है त्यौहार भी फीके।


गीत होने लगे आँगन से गुम

बेटे परमीठे गीत

डगर-डगर चली बिटियाँ

गुनगुनाते हुए लोक गीत

जो उसने सीखे थे माँ से।


रच-बस चुके थे सांसो में

हर त्योहारों के मीठे गीत

सखिया बन जाती कोरस

स्वर मुखरित हो उठते तो

कोयल कूक हो जाती फीकी।


ठहर जाते लोगो के भी पग

कह उठते कितना अच्छा गाती

बेटियां अब कम हो जाने से

हो गये है त्यौहार भी फीके।


गीत होने लगे आँगन से गुम

बेटे त्यौहारों पर गीत बजाते

सुनने को अब पग कहा रुक पाते

लोक गीतों और बेटियों को

जब सब मिलकर बचायेंगे।


सुने आँगन फिर सज जायेंगे

सुर करेंगे हवाओं से दोस्ती

बोल कानो में मिश्री घोल जायेंगे।


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