"मीत वही जो प्रीत निभाये"
"मीत वही जो प्रीत निभाये"


मीत वही जो प्रीत निभाये,
सुख-दुःख में भागी हो जाये,
दुःख़ी तुम हो,
आंखें उसकी नीर भर लाये,
पसीना चुये,
पशेमानी पे तुम्हारे,
परेशानी उसके चेहरे पे झलक जाये,
मीत वही जो प्रीत निभाये,
सुख के सभी साथी हैं,
जो दुःख में नैया पार करायें,
मझधार में तुम अटके हों,
जो खिवैया बन जाये,
मीत वही जो प्रीत निभाये,
दोस्ती दुर्योधन कर्ण सी,
जानने पर भी कौन्तेय हूँ,
तब भी प्रीत निभाये,
अपने वचन की खातिर,
दुर्योधन की दोस्ती पे,
अपनी जान न्यौछावर कर जाये,
मीत वही जो प्रीत निभाये,
दोस्ती सुदामा - कृष्ण की,
सुन सुदामा द्वार आये,
नंगे पाँव भग,
आकर गले लिपटाये,
असुवन पग धुलवाए,
देख कंगाली सुदामा की,
कुटिया महल कर आये,
मीत वही जो प्रीत निभाये,
दोस्ती द्रोपदी - कृष्ण की,
हया का पल्लू सरकने लगा,
तब सभी लाचार नज़र आये,
टेर लगायी जब कान्हा से,
आकर चीर बढ़ाये,
क्या होता है नारी का मान - सम्मान,
दुनिया को पाठ पढ़ाये,
मीत वही जो "शकुन" प्रीत निभाये।।