मीरा देश का हीरा
मीरा देश का हीरा
पहाड़ों पर
चढ़ते चढ़ते
कामयाबी की
बुलन्दी को छू लिया
लकड़ियों का
बोझ उठाते उठाते
जीत का
भार उठा लिया
जन्म हुआ
साधारण से परिवार में
सपना आसमाँ को
छूने का संजो लिया
अभावों में
पली बढ़ी हौसलों से
दुनिया को
आईना दिखा दिया
शौक तीरंदाज
बनने का
कुंजारानी से
मुलाकात ने मन बदल दिया
उनको आदर्श
मान कर चली
रियो जाने को
उनको ही हरा दिया
२१ वर्षों से
पदक का सूखा पड़ा
टोक्यो में
रजत से मिटा दिया
खूब बटोरे
मेहनत से पदक
सोने, चाँदी का
अंबार लगा दिया
निकल घर के
चूल्हे - चौके से
विदेशों तक देश का
परचम लहरा दिया
मेहनत और हौसले से
देश का मान बढ़ा दिया
देश की माटी का तिलक लगा
देश प्रेम का संदेश दिया
पिछली
असफलताओं से
सीख ले जीत का
हथियार बना लिया
वर्षों से
बहते हार के
आंसू को
अपनी ताकत बना लिया
खेल रत्न
और पद्मश्री
जैसे सम्मान को
कम उम्र में ही पा लिया
नारी नहीं
कम किसी से
ये संदेश जन
समाज को दिया।