संतुष्टि
संतुष्टि
कौन अपना है ?
जिन्हें केवल हम
अपनी ओर से
अपना कह लें..!
अपनापन है न
जरूरत पड़ने पर
हमारी तुम्हारी
खोज हो जाती है।
हम समय पर साथ देना
क्यों छोड़ दें..
स्वार्थी का तगमा
पहना दिए जाएंगे
हम अपनी ओर से
जो कर सकते हैं
करते रहेंगे..
हमारा ऋण ब्याज
वो ऊपर वाला संभालता
उसके वही बही-खाते में
सूद समेत लौटाने भेजता
अपने किसी अनुयायी को।
इस भयावह काल में कई बच्चे
हालचाल पूछते हैं
भोजन दवा की व्यवस्था करते
जिनसे गर्भनाल का रिश्ता नहीं।