चलते रहें, बढ़ते रहें
चलते रहें, बढ़ते रहें
चाहे गिर जाऊं लाखों दफा
गिर कर खुद को संभालूं
यह मेरे लिए जरूरी है ।
डर चोट का ना हो
ना हो हार का ही
हर डर को खुद से निकालूं
यह मेरे लिए जरूरी है ।।
सांस तो भरेगी , ठोकर भी लगेगी
पथ शूलों से भरा ---
जीत की कसौटी पर हर ऊंचाई मुझे परखेगी ।
सवालों के घेरे भी होंगे, संदेह के फेरे भी होंगे
मन आशा से प्रकाशित रहे
जिंदगी तप के निखरेगी ।।
लक्ष्य को नहीं तजना, थक के नहीं रुकना
थके कदमों को मंजिल तक चला लूं
यह मेरे लिए जरूरी है ।।