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PANKAJ DUBEY

Drama

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PANKAJ DUBEY

Drama

महात्मा

महात्मा

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एक रात मैं मस्त सपनो मे खोया था 

ऑफिस के काम थक हार के सोया था 

तभी सुना सपने मे कोई गा रहा है 

धीरे धीरे मेरे करीब आ रहा है 


दुबला पतला शरीर और छोटी सी कद काठी 

श्वेत वस्त्र धारण किये हाथ मे लिए एक लाठी 

ये हमारे देश की आज़ादी की लड़ाई के आंधी थे 

हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी थे 


उनको देखते ही मैं खिल गया 

भक्त को जैसे भगवान मिल गया 

वो पूछने लगे मुझसे आम आदमी का हाल 

मैंने कहा बापू हम देशवासी 


महंगाई गरीबी और बेरोजगारी से है बेहाल 

ढोंगी पाखंडी बाबा रोज कर रहे चमत्कार 

माँ बहनो के साथ आये दिन हो रहा बलात्कार 

धर्म और मजहब के नाम हो रहे दंगे 


राजनीती के इस हमाम सभी नंगे 

वो बोले गमो और तकलीफो से लड़ना हमारा 

काम है 

जिंदगी परेशानियों का दूसरा नाम है 

तभी एक आवाज जोर से आई 

पास आकर पत्नी जी चिल्लायी 


आज ऑफिस नहीं जाना 

लौटते वक्त सब्जी याद से लाना 

पत्नी की इस जोरदार आवाज से हम सपने से 

जाग गये और बापू बेचारे सपने से भाग गये।


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