महामारी और मजदूर
महामारी और मजदूर
भारी भरकम भीड़ लिए कुछ लोग मदद को आते हैं
अपनी मीठी बातों से फिर सबको भरमाते हैं
भूख और लाचारी का ये कितना लाभ उठाते हैं
भूखे को ये भोजन देते या कि सेल्फी खिचवाते हैं
काश! समझ लेते ये इतना, ये भूखे हैं , भिखारी नहीं
इज्ज्त की रोटी थे खाते, बेरोजगार हुए अपाहिज नहीं
भूखों को खाना हैं देते, या करते मानवता को शर्मसार
विपदा तो सब पर आन पड़ी हैं , क्या समर्थ और क्या लाचार ?