खोखले रिश्ते
खोखले रिश्ते
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आँसुओं से भीगा है ये दामन इतना,
की सावन में भी बारिश का भान नहीं होता।
वेदनाओं के सागर में लगायी है इतनी डुबकियां,
कि अब किसी दर्द का एहसास नहीं होता।
तिल-तिल के मरी हूँ रिश्तों की खातिर,
कि अब किसी रिश्ते पर गुमां नहीं होता।
निभाना तो पड़ता है यहाँ कुछ रिश्तों को,
पर इन पे अब एतबार नहीं होता।
झंझोड़ा है कुछ रिश्तों ने दिल को ऐसा,
कि इनके लिए दिल में अब एहतराम नहीं होता।