किस्मत
किस्मत
कुछ 'किस्मत' लेकर आते हैं
कुछ 'किस्मत' खुद बनाते हैं
ये 'किस्मत-किस्मत' का खेल हैं
कभी बनते, कभी बिगड़ जाते हैं।
कुछ रह जाते किस्मत के भरोसे
कुछ 'किस्मत' को आजमाते हैं
मिल जाए तो हैं किस्मत अपनी
और, न मिलना भी किस्मत हैं।
ये किस्मत एक सहेली है
या फिर अबूझ पहेली है
सुलझ जाए तो हैं किस्मत अपनी
गर, ना सुलझे तो किस्मत हैं।
किस्मत से किस्मत संवरती है,
किस्मत से किस्मत बिगड़ती है
'किस्मत' में 'किस्मत' ने ना लिखा
क्या बनना या बिगड़ना हैं।
'किस्मत' सबको आजमाती है
हम किस्मत को आजमाएंगे
'किस्मत' में जो हमारे न था
किस्मत से उसे बनाएंगे।