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anuradha chauhan

Abstract Others

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anuradha chauhan

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महादेव गौरा

महादेव गौरा

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शंभू शंभू शंभू 

शिवा शंभू भोला

चले आज ब्याहने 

महादेव गौरा

जटा जूट धारी 

गले सर्प माला।

कहलाते नीलकण्ड 

पीकर विष का प्याला

शंभू शंभू शंभू

शिवा शंभू भोला

चले आज ब्याहने 

महादेव गौरा


चले संग नंदी 

और अजब से बाराती

भूत प्रेत देख संग 

थरथराते घराती

मृगछाल लपेटे

मुस्काते हैं भोला

अलंकृत सर्पों से

देख माँ का हृदय डोला

शंभू शंभू शंभू

शिवा शंभू भोला

चले आज ब्याहने 

महादेव गौरा


अजब रूप शिव का

सभी भय से देख काँपे।

बताने सती को 

सखी दौड़ें हांफें

सुन सबकी वाणी

सती ने राज खोला

इसी रूप पर सखियों

मेरा मन डोला

शंभू शंभू शंभू

शिवा शंभू भोला

चले आज ब्याहने 

महादेव गौरा


डम डम डम डमरू की 

धुन बज रही है

महादेव से मिलने 

सती सज रहीं हैं

भयभीत देख सबको

शिवा मुस्कुराए

रखा रूप सुंदर

त्रिलोक जगमगाए

शंभू शंभू शंभू 

शिवा शंभू भोला

चले आज ब्याहने 

महादेव गौरा



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