Blogger Akanksha Saxena

Romance

5.0  

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मेरी याद

मेरी याद

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जब भी बारिश की बूंदों को

हाथों पे तुम पाओगे

मेरी याद छिपाकर तुम

आंखों को बहुत रूलाओगे

जब भी बारिश की बूदों को..। 


जब भी अपनी झूठी हँसी से

अपना दर्द छुपाओगे

यादों की चद्दर सिकुड़न में

अहसास हमारा पाओगे

जब भी बारिश की बूदों को..।


जब कभी भी तुम स्वप्न में

कोई रागिनी गाओगे

अपने सुरों की गहराई में

मेरी तड़प ही पाओगे 

जब भी बारिश की बूदों को..। 


गंगाजल की जब कुछ बूंदें 

अंतिम प्यास बुझायेंगी

उन बूंदों की तासीर में तुम

तश्वीर हमारी पाओगे

जब भी बारिश की बूदों..।


नफरत छोटी प्रेम बड़ा है

ऐ! मन लिखते तुम जाओगे

जब भी बारिश की बूदों को..।


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