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Sulakshana Mishra

Abstract

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Sulakshana Mishra

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मेरी प्यारी बेटी

मेरी प्यारी बेटी

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सूना सा था मेरा आँगन

बोझिल सा था मेरा जीवन

हुई फिर एक मीठी सी दस्तक

आने को थी तैयार

एक नन्ही सी गुड़िया अब तक।


आया फिर वो दिन

और आया वो पल छिन

जब आयी वो नन्ही सी गुड़िया

बदल देने मेरा 

ये नीरस बोझिल जीवन।


छम छम करके जब वो चलती

पहन के पायल घुंघरू वाली

उसके नन्हे कदमो से 

नप जाती आँगन की

कोना-कोना क्यारी-क्यारी।


आँखों मे था उसके 

सतरंगी इन्द्रधनुष का वास,

जेहन में तस्य उसके सवाल हज़ार

ममता की वो मूरत थी

दिल मे था उसके प्यार अपार।


उसकी एक मुस्कान से ही था

आबाद मेरा जग संसार।

उसके बचपन मे ही

जी लेती हूँ मैं 

अपना बचपन बारबार।


टूट थकान से जब मैं घर को आती

देख के उसकी एक मुस्कान

दूर थकान खुद हो जाती।

वो थी जादूगर नन्ही सी

वो थी मेरी प्यारी बेटी।


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