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Manoj Kumar

Action Others

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Manoj Kumar

Action Others

मेरी परवाह

मेरी परवाह

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नहीं करो बीच समंदर में खड़ी होकर तुम।

मैं तो बावरा हूं तेरी नज़रों में।

तुम तो बेवफ़ा हो गई किसी के जाल में फंस कर।

जो होना था हो गया, सोचने से क्या होगा इस शहर में।


जलने दो हमें इन्हीं आग की लपटों में।

क्या मेरी परवाह करती हो बचाने को।

मैं तो पहले ही जल गया था, वफ़ा के चिंगारियों से।

क्या होगा तुम्हें झूठी आंखों से, झूठी अश्क बहाने को।


चलने दो हमें शूल के राहों में अकेला।

अरे तू क्यों रही है पगली, छोड़ दे हमें इन्हीं पथ पर।

तू भाग जा हमारे इश्क़ के गांव छोड़कर।

मैं जी लूंगा तन्हा ही, किसी के दर्द न होने पर।


अब तो देर हो चुकी है तू क्यों बैठी है।

तेरा इंतज़ार करता है वो, तू जा उसके पास।

हमने पहले से ही निकाल दिया, तेरी ये बेवफ़ाई तस्वीर दिल से।

अब तुम भी न रहो हमारे आस पास।



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