मेरी प्रियतमा
मेरी प्रियतमा
ओ मेरी प्रियतमा
तुझसे मैंने प्यार ही माँगा है
कोई दौलत नहीं माँगी है
अगर तू इसे इंकार कर देगी
तो भी यह दिल तेरे लिए ही हाजिर है।
दुनिया में यूँ तो हसीं बहुत हैं
पर इन निगाहों ने तुझे ही पसंद किया है
अब तू ही बता ओ मेरी प्रियतमा,
इसमे मेरा क्या कुसूर है ?
तुझे क्या पता ? किस हद तक
तुझसे प्यार करता हूँ
तू तो सुकून से सोती है पर
तेरी याद में रातें गुजारा करता हूँ।
ओ मेरी प्रियतमा
अपनी लबों से मोहब्बत का
इजहार कर दे
बड़ा बेकरार हूँ मैं, कभी तो मेरा
नाम पुकारा कर ले
मैं भी बड़ा जिद्दी आशिक हूँ।
तेरा पीछा यूँ ना छोडूंगा
तू कितना भी सितम कर ले
मैं हस कर सहता जाऊँगा
ओ मेरी प्रियतमा
तुझसे मैंने प्यार ही माँगा है
कोई दौलत नहीं माँगी है।

