मेरी पनाह
मेरी पनाह
आ जाओ मेरी पनाह में
प्यार की बयार में बह जाए
इस राह की पकीज बाहों में बैठ जाये
आ जा मेरी राहों को पकड़ ले
साथ जीवन बिताना है
कुछ तो प्यार चाहिए
चातक नही जो यूँ जी लूँ
कृष्णा और मीरा के प्यार का भी
माना आज वही है कसक
है तुम्हारे साथ कि
जिस्म के रिश्ते तो बहुत दर्द देते है
मन के मेल जन्मों के रिश्ते बनाते है
आ जाओ मेरे उस रास्ते आओगे
प्यार का खुमार नही है
जन्म में अपने जन्म साथी को
ढूंढने की आस है
एक ही रिश्ता है जो स्वयं चुन पाते
मन का मेल अलग ही है