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rit kulshrestha

Drama

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rit kulshrestha

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वो पल

वो पल

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बहुत याद आते हैं गुज़रे पल

उन पल की महक

तरोताज़ा बनाये रखते 

अच्छे पल अरमानों और

सपनों के पल

 

ख़ुशी ग़म पहिये ही है

जीवन कोई रोक नहीं पाया 

कभी ज़ख्म बहुत गहरे हो जाते है 

पर जीवन नहीं रुकता न ही जीना 


आँखों में आँसू और उदासी को

ढूंढने की नाकाम कोशिश करते हैं

पर आँखों में हमेशा मायूसी झांकती 

क्योंकि हर ख्याल उन

ज़ख्मों से भरा होता है

 

बातें सिर्फ कमी का एहसास कराती है 

कभी यह ज़ख्म ज़ाहिर होते हैं 

कभी यह ज़ाहिर नहीं होना चाहते 

ज़ख्म की खबर सब को है 

कभी वो दिखाना चाहते है कभी नहीं 


कम से कम  ज़ख्म सहने वालों को

इतना हक़ तो होना ही चाहिए 

अपने उन पलों के लिए 

सिर्फ सिर्फ उन ज़ख्म के साथ  

शायद हम दवा नहीं 

लेकिन दर्द की वजह न बने 



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