#मेरी पहचान
#मेरी पहचान
कोमलांगी, गौरवर्ण, दमकता
आभामंडल, कजरारे नयन,
करूणामय हदृय, सहनशीलता
का उदाहरण है ये, नारी है ये.
साजन के आंगन की शान,
माता पिता का अभिमान,
बच्चों के लबों की मुस्कान,
विधाता का दिया वरदान है ये
हाँ नारी है ये.
अपनी खुशियों को करती न्यौछावर,
तज कर अपनी हर अभिलाषा
सबके दुःख सुख को उसने है बाँटा.
क्या बस इतनी ही उसकी पहचान?
नही, अब कसौटियाँ है नई
सारे जग मे विजय पताका
फहराने की उसने ठानी है.
शब्दों की तेज धार वाली तलवार
कहलाती हूँ अब मैं कलमकार
सुख दु:ख से परे करती हूँ वार
समाज की विद्रूपताओं से सरोकार।
